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मुस्कुराते हुए इंसान को कभी जब देखना, हो सकता है रूमाल गिला मिले

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सवाल ज़हर का नही था, वो तो मैं पी गया, तकलीफ तो लोगो को तब हुई, जब मैं जी गया.!!!
अगर कोई जोर देकर पूछेगा हमारी मोहब्बत की कहानी, तो हम भी धीरे से कहेंगे की मुलाकात को तरस गए.!!!
इंसान एक ऐसा ग़ाफिल मंसूबा साज़ है कि वह अपनी सारी जिंदगी की प्लानिंग में कभी अपनी मौत को शामिल ही नहीं करता।
इंसान नीचे बैठा दौलत गिनता है कल इतनी थी आज इतनी बढ़ गयी। ऊपर वाला हंसता है और इंसान की सांसे गिनता है, कल इतनी थी आज इतनी कम हो गयी।
तुम कहा हो मेरे करीब आओ, मैं कहा हु मुझे पता तो चले..!!!
जब इंसान की जरूरत बदल जाती है तो उसका आपसे बात करने का तरीका भी बदल जाता है।
इंसान का सारा ध्यान आज बस इस बात पर है कि ज़िंदगी जीने के तरीकों में कैसे सुधार किया जाए
अगर किसी परिस्थिती के लिए आपके पास सही शब्द नहीं हैं, तो सिर्फ मुस्कुरा दीजिये। शब्द उलझा सकते हैं, पर मुस्कराहट हमेशा काम कर जाती है।
इतना उदास ना हो-ए-दिल, बस भरोसा ही तो टूटा है, ये बिछड़ने वाले कब अपने होते है, कोई पराया ही तो रूठा है..!!!
ज़िन्दगी में एक हसी वो होती है जो इंसान अपने ग़म को छुपाने के लिए खुद सीखता है, और एक हसी वो होती है जो इंसान के सारे ग़म भुला देती है