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नाज़ुक लगते थे जो लोग, वास्ता पड़ा तो पत्थर के निकले

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जिंदगी की उलझनों ने मेरी शरारतें कम कर दीं और लोग समझते है कि मैं समझदार हो गया।
काम इतनी शांति से करो कि सफलता शोर मचा दे
आंसू किसी और के दुख को समझता नहीं है, और न ही किसी की खुशी को। - Franz Schubert
किसी को उजाड़ कर बसे तो क्या बसे किसी को रुलाकर हँसे तो क्या हँसे
ये दिन भी क़यामत की तरह गुज़रा है न जाने क्या बात थी हर बात पर रोना आया
लोग कहते हैं हमसे तुम बहुत बदल गए हो ! तो अब क्या टूटे हुए पत्ते रंग भी न बदलें.
जो लोग दर्द को समझते हैं वो लोग कभी दर्द की वजह नहीं बनते
अजीब बात है कि एक ईमानदार इंसान की राय के इतने भूखे लोग उस इंसान की ईमानदारी से इतनी जल्दी नाराज़ कैसे हो जाते हैं। यदि आप अच्छे इंसान के मुंह से बुरा सुनना चाहते हैं तो मत पूछिए।
कोई किसी का नहीं होता दुनिया में, जब दिल भर जाता है तो लोग याद करना भी छोड़ देते है।
जो लोग दर्द को समझते हैं, वो लोग कभी दर्द की वजह नहीं बनते.