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ना कोई तरंग है, ना कोई उमंग है, मेरी ज़िन्दगी भी क्या एक कटी पतंग है
ज़िन्दगी एक ढलती शाम की तरह है, जिसमें कहीं उथल-पुथल है, तो कहीं थोड़ा आराम भी।
लेकिन नकारात्मकता के साथ खड़े होने पर, ज़िन्दगी भर गलत ही गलत होगा।
ज़िन्दगी में एक हसी वो होती है जो इंसान अपने ग़म को छुपाने के लिए खुद सीखता है, और एक हसी वो होती है जो इंसान के सारे ग़म भुला देती है
झूठ की खरीददारी ज्यादा दिन तक नही टिकती, सच एक ही सही, अंत तक साथ देता है।
हद से ज्यादा खुशी और हद से ज्यादा गम, कभी किसी को मत बताओ क्योंकि ज़िन्दगी में लोग हद से ज्यादा खुशी पर नजर और हद से ज्यादा गम पर नमक जरूर लगाते है।
स्टेशन जैसी हो गयी है ज़िन्दगी, जहां लोग तो बहुत है, पर अपना कोई नह।
सबसे शक्तिशाली पद हासिल उतना कठिन नहीं होता जितना उस पर बने रहना होता हैं.
ज़िन्दगी पल-पल ढलती है, जैसे रेत मुठ्ठी से फिसलती है कुछ खोकर पछताना क्यों, ज़िंदगी जैसी भी है बस एक ही बार मिलती है।
ज़िन्दगी भी अक्सर कमाल करती है, कभी देती है जवाब तो कभी सवाल करती है।