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दर्द, गम, डर जो भी है बस तेरे अंदर हैं, खुद के बनाये पिंजरे से निकल कर देख, तू भी एक सिकंदर हैं!
झुकने से रिश्ता गहरा हो तो झुक जाओ, पर हर बार आपको ही झुकना पड़े तो रुक जाओ।
मेरे भाई पर मेरा विश्वास है गहरा, हर अंधेरे में वही है मेरा सहारा।
दर्द कम नहीं हुआ है मेरा ! बस सहने की आदत हो गयी है !!
ख़ुशी, शांति और प्रेम–ये कोई आध्यात्मिक लक्ष्य नहीं हैं। यह सब तो समझदारीपूर्वक जीने की शुरुआत है।
आज से, आप जिस किसी से भी मिलें उसके साथ ऐसा व्यवहार करें जैसे कि वे आज रात मर रहे हों। आप जो भी देखभाल, दयालुता और समझ जुटा सकते हैं, उन सभी तक पहुँचाएँ और ऐसा इनाम के बारे में सोचे बिना करें। आपका जीवन फिर कभी इस तरह का नहीं रह पाएगा। - और मैंडिनो
झुकने से रिश्ता गहरा हो तो झुक जाओ, पर हर बार आपको ही झुकना पड़े तो रुक
इंतज़ार करने वालों को सिर्फ़ उतना ही मिलता है जितना कोशिश करने वाले छोड़ देते हैं।
ख़ुद वो बदलाव बनिए जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं।
विवेक प्रशिक्षण का परिणाम नहीं है, बल्कि इसे हासिल करने का आजीवन प्रयास है। - अल्बर्ट आइंस्टीन