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इससे ज्यादा इश्क का सबूत और क्या दूं साहब मैंने उसके जिस्म को नहीं उसकी रूह को चुना है

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नही हो अब तुम हिस्सा मेरी किसी हसरत के,
जो लोग कहते है कि उन्हें प्यार से बहुत नफरत है,
इश्क़ ने 'ग़ालिब' निकम्मा कर दिया वर्ना हम भी आदमी थे काम के
प्यार में अगर किसी के लिए रोना आए तो समझ लेना प्यार सच्चा है
ज़िन्दगी भर नहीं दूंगा।
दुनिया को नफरत का सुबूत नहीं देना पड़ता,
वक़्त कट तो भी नहीं, वक़्त रुकता भी नहीं। दिल है सजदे में मगर, इश्क झुकता भी नहीं।
धोखा देकर ऐसे चले गए,
मैं प्यार का इस्तीफा
अब बात नफरत की है तो नफरत ही सही।