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गुजर जाएगा ये दौर भी ज़रा सा सब्र तो रख, जब खुशियों ही नहीं रुकी तो गम की क्या औकात है
कुछ लोग डायरी इसलिए लिखते है, क्योंकि उनकी बात सुनने वाला कोई नहीं होता
जो लोग ठोकर खाकर भी चलते रहते हैं, वही एक दिन मंजिल पाते हैं
जिंदगी में खुशियाँ तलाश करो, दुखो का कोई अंत नहीं होता
मैंने कुछ वक्त चुप रहकर भी देख लिया, किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता
तुम्हारे बगीचे में भी खुशबु रहती है, मेरे रोग में भी भरोसा रहता है
ताश का जोकर और अपनों की ठोकर अक्सर बाजी घुमा देते हैं।
दुश्मन से ज्यादा खतरनाक वो है, जो दोस्त बनाकर धोखा देते है
निकाल दिया उसने अपनी जिंदगी से भीगे कागज़ की तरह, ना लिखने के काबिल छोड़ा ना जलने के
चहरे बदल जाए तो कोई तकलीफ नहीं, मगर लहजे बदल जाए तो बहुत तकलीफ होती है