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रोज रोज गिरकर भी मुकम्मल खड़ा हूँ, ए मुश्किलों देखो मैं तुमसे कितना बड़ा हूँ।
जिंदगी हसीन है, खुल के जी कर तो देखिए, बरसों से लगी धूल को हटाकर तो देखिए !
सुनो ! तुम मेरी वो आदत हो, जिसे मैं चाह कर भी नहीं छोड़ सकता !
मुश्किलों में कोई साथ न दे तो मायूस न होना इस जिंदगी में खुद से बढ़कर कोई हमराही नहीं।
जिसे हारने का डर है, उसकी हार निश्चित है!
यही जज्बा रहा तो मुश्किलों का हल भी निकलेगा, जमीं बंजर हुई तो क्या वहीं से जल भी निकलेगा, ना हो मायूस ना घबरा अंधेरों से मेरे साथी, इन्हीं रातों के दामन से सुनहरा कल भी निकलेगा
जिस बात से डर लगता हो, उस क्षेत्र में अपना ज्ञान बढ़ाना आरंभ कर दें, डर भाग जाएगा, डर सदैव अज्ञानता से उपजता है !
चुनौतियों से डरना नहीं, बल्कि उनका सामना करना सीखो आसान व समतल सड़कें कभी भी किसी को अच्छा ड्राइवर नहीं बनातीं।
एक व्यक्ति द्वारा स्वामी विवेकानंद से पूछा गया, सब कुछ खोने से ज्यादा बुरा क्या है ? स्वामी जी ने उत्तर दिया की “वो ऊमीद खोना जिसके भरोसे पर हम सब कुछ वापस पा सकते है!
विफलता का सामना करना है तो आपको आत्मविश्वास से भरपूर बनना पड़ेगा।