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सबकुछ कुछ नहीं से शुरू हुआ

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रोज रोज गिरकर भी मुकम्मल खड़ा हूँ, ए मुश्किलों देखो मैं तुमसे कितना बड़ा हूँ।
नही हो अब तुम हिस्सा मेरी किसी हसरत के,
दूसरों को सुनाने के लिऐ अपनी आवाज ऊँची मत करिऐ, बल्कि अपना व्यक्तित्व इतना ऊँचा बनाऐं
विफलता के बारे में चिंता मत करो, आपको बस एक बार ही सही होना
अगर आप चाहते हैं कि, कोई चीज अच्छे से हो तो उसे खुद
व्यक्ति कर्मों में जीता है वर्षों में नहीं
समझ नहीं आता किस पर भरोसा करू,
आप तब तक नहीं हार सकते,जब तक आप कोशिश करना नहीं छोड़ देते।
मनुष्य कर्म से महान होता है, जन्म से नहीं। ~ आचार्य चाणक्य
जिस जिस पर यह जग हंसा है, उसी ने इतिहास रचा है!