#Hindi Quote
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न जाने किस दरबार का चिराग़ हूँ मैं , जिसका दिल करता है जलाकर छोड़ देता है
आप चाहें जिस भी वस्तु की इच्छा करो, वह आपको आपके अपेक्षित रूप में नहीं मिलेगी. – हारुकि मुराकामी
आंसू किसी और के दुख को समझता नहीं है, और न ही किसी की खुशी को। - Franz Schubert
आँसुओ का कोई वज़न नहीं होता, लेकिन निकल जाने पर मन हल्का हो जाता है
ये दिन भी क़यामत की तरह गुज़रा है न जाने क्या बात थी हर बात पर रोना आया
अपनी जिंदगी मे हर किसी को अहमियत दीजिये क्योकि जो अच्छे होंगे वो साथ देंगे और जो बुरे होंगे वो सबक देंगे।
दर्द मुझको ढूंढ़ लेता है रोज़ नए बहाने से वो हो गया वाक़िफ़ मेरे हर ठिकाने से
अब मत खोलना, मेरी ज़िन्दगी की पुरानी किताबो को, जो था वो मैं रहा नहीं, जो हूँ वो किसी को पता नहीं
अब मत खोलना मेरी ज़िंदगी की पुरानी किताबों को.. जो था वो मैं रहा नहीं, जो हूं वो किसी को पता नहीं!
ज्ञान सिर्फ किताबों से ही नहीं मिलता, जीवन की परिस्थितियां भी इंसान को बहुत कुछ सीखा देती हैं।