#Hindi Quote
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स्वयं के प्रति ईमानदार होना आत्म-सम्मान का सर्वोच्च रूप है। यदि आप कुछ महसूस नहीं कर रहे हैं, तो इसे न करें।
पाप निःसंदेह बुरा है; लेकिन उससे भी बुरा है पुन्य का अहंकार।
अहंकार में डूबे इंसान को, ना तो खुद की गलतियां दिखाई देती है और ना दूसरों की “अच्छी” बात।
पैरों से कांटा निकल जाए तो चलने में मज़ा आता है, और मन से अहंकार निकल जाए तो जीवन जिने में मज़ा आता है।
आप कौन हैं उन मूल्यों से परिभाषित होते हैं जिनके लिए आप संघर्ष करने को तैयार हैं।
दूसरों को खुश करने के लिए अपने मूल्यों से समझौता न करें। अपने स्वाभिमान को अक्षुण्ण रखें और चले जाएँ।
हमेशा अपने आप में रहो, अपने आप को व्यक्त करो, अपने आप में विश्वास रखो, बाहर जाकर एक सफल व्यक्तित्व की तलाश कर और उसकी नकल मत करो। -ब्रूस ली
अहंकार और अकड़ दोनों एक बीमारी हैं, एक ना एक दिन समय इसका इलाज जरूर करता है
परिपक्वता उन लोगों और स्थितियों से दूर चलना सीखना है जो आपके मन की शांति, आत्म-सम्मान, मूल्यों, नैतिकता और आत्म-मूल्य को खतरे में डालती हैं।
अपने आप को इतना प्यार करो कि अपने आप को उन लोगों से घेर लो जो तुम्हारा सम्मान करते हैं।