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बात जो भी हो सामने बया होती है ए दोस्त इश्क़ में चालाकियाँ कहाँ होती है
जब उन्हे पाने के काबिल हुए हम, वो किसी और को हासिल हो गए..!!!
तुम ना ही मिलते तो अच्छा था,
अब वो नफरत में बदल गयी है।
इससे ज्यादा इश्क का सबूत और क्या दूं साहब मैंने उसके जिस्म को नहीं उसकी रूह को चुना है
जैसे कभी जानते ही नहीं थे
अब ऐसे नफरत जताते हो
धोखा देकर ऐसे चले गए,
नही हो अब तुम हिस्सा मेरी किसी हसरत के,
केवल वे ही लोग, जो अपने दिमाग का कचरा किनारे रख सकते हैं, वास्तव में प्रेम और करुणा के काबिल होते हैं ।