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मेरे ग़म का छोटा सा हिस्सा लेकर तो देखो , मरने की ख्वाहिश न करने लगे तो कहना

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आँसुओ का कोई वज़न नहीं होता, लेकिन निकल जाने पर मन हल्का हो जाता है
अपनी पीठ से निकले खंजरों को जब गिना मैंने, ठीक उतने ही निकले जितनो को गले लगाया था मैंने
हर छोटा बदलाव बड़ी कामयाबी का हिस्सा होता है
ना चांद की चाहत ना सितारों की फरमाइश, हर जन्म में तू मिले मेरी बस यही ख्वाहिश !
वो किताबों में लिखा नहीं था , जो सबक़ ज़िन्दगी ने सिखाया मुझे !
नाज़ुक लगते थे जो लोग, वास्ता पड़ा तो पत्थर के निकले
नही हो अब तुम हिस्सा मेरी किसी हसरत के,
दर्द, गम, डर जो भी है बस तेरे अंदर हैं, खुद के बनाये पिंजरे से निकल कर देख, तू भी एक सिकंदर है!
कभी रोते नही लाख दुःख आने पर भी। और कभी यूँ ही आंसू बहाने को दिल करता है।
किसी को उजाड़ कर बसे तो क्या बसे किसी को रुलाकर हँसे तो क्या हँसे