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सूरज और चांद की ख्वाहिश नहीं मुझे जहां दिल को सुकून मिले वहीं मेरे खुदा का दर है।
मसला तो सुकून का है, वरना ज़िंदगी तो हर कोई काट रहा है
ना जाने हम किसका बुरा किए बैठे है, की बुरा वक्त पीछा ही नही छोड़ रहा
जरूरी नहीं की हम सबको पसंद आए, बस जिंदगी ऐसे जियो के रब को पसंद आए
सफर मोहब्बत का अब खत्म ही समझो, तेरे रवइये से जुदाई की महक आती है
कौन ज्यादा मजबूर है वो जो सड़कों पर सुकून की नींद सोता है या वो जो लाखों के घर में भी नींद के लिये तरसता है।
एक ख्वाहिश थी के जिंदगी तेरे साथ गुजरे, एक ख्वाहिश है कि तुमसे अब उम्र भर सामना ना हो
ज़िंदगी की चंद लम्हों में छुपा है सुकून, खुद को खोया है तो ज़िंदगी को भी खो गए हैं, खुद से मिलते हुए ही समझेंगे ज़िंदगी को, यही है ज़िंदगी का असली मज़ा।
मुस्कुराना तो आदत है हमारी जनाब, वरना ज़िंदगी तो हमसे भी नाराज है
अगर आसुओं की कीमत होती, तो कल रात वाला तकिया अरबों का होता