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बस इसलिए हम कुछ नहीं कहते तुमसे, तुम समांझोगे नही और हम रो देंगे
मुझपर बहुत जिम्मेदारियां थी मेरे घर की, माफ करना मैं तेरे इश्क में मर नहीं सकता
वक़्त के साए में छुपी है जिंदगी की राह, खुदा की ख़फ़ा आँखों में बस गया है इक दर्द का जहर!
कितना अजीब है लोगों का अंदाज-ऐ-मोहब्बत, रोज एक नया जख्म देकर कहते हैं अपना ख्याल रखना
वक्त से लड़कर जो नसीब बदल दे, इंसान वही जो अपनी तक़दीर बदल दे
यह बिल्कुल भी जरूरी नहीं की, खैरियत पूछने वाला आपकी खैरियत भी चाहता हो
खाली जेब लेकर निकलो कभी बाजार में, जनाब वहम दूर हो जाएगा इज्जत कमाने का
धोका ऐसे ही नही मिलता, भला करना पड़ता है लोगो का
लोग आपको नहीं आपके अच्छे वक़्त को अहमियत देते हैं
सबर मेरा कोई क्या ही आजमाएगा, मैंने हंस के छोड़ा है उसे जो मुझे सबसे प्यारा था