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दोस्त दो-चार निकलते हैं कहीं लाखों में जितने होते हैं सिवा उतने ही कम होते
जो अपना दोस्त खुद बन जाता है उसे दोस्तों की दोस्ती की जरूरत ही नहीं रहती।
परिवार और दोस्त छिपे हुए ख़ज़ाने हैं, जो तकलीफ या परेशानी में सबसे पहले सामने आते हैं।
एतबार किया खता नहीं एतबार से बडी खता नहीं
जीवन में दोस्त तो आते-जाते रहते हैं, लेकिन भाई हर समय के उपलब्ध है।
अच्छे दोस्त और अच्छे भाई किस्मत वालों को ही मिलते हैं।
दुश्मन से ज्यादा खतरनाक वो है, जो दोस्त बनाकर धोखा देते है
दोस्त केवल वही हो सकता हैं जो आपको अच्छे से जानता हैं और आपसे प्यार करता हैं।
ऐ दोस्त तुझ को रहम न आए तो क्या करूँ दुश्मन भी मेरे हाल पे अब आब-दीदा है
अक़्ल कहती है दोबारा आज़माना जहल है दिल ये कहता है फ़रेब-ए-दोस्त खाते जाइए