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पैसा" आज के जमाने में इज्ज़त भी पैसे देखकर किए जाते हैं, बिना पैसे के तो लोग ज़रूरत भी नहीं समझते। -तेजस्विनी कुमारी
जीवन में दुःख और सुख दोनों एक साथ चलते हैं! जब एक थक जाता है तो दूसरा उसका स्थान ले लेता है!
माहौल यहा कुछ इस तरह है। अजब सी कशीश हर एक मनमे। जी रहा है ,हरकोई डर डर के.. मांग रहा है ,जिंदगी मर मर के ए खुदा के बंदे , ढुंड जरा जमानेमे खुशीया हजार मिलेंगी, हर एक पलमे लाखो जनम जी लेगा , बस तू एक बार जीना सीख ले।
"अपेक्षा" और "उपेक्षा" दोनों का होना ही गलत है "अपेक्षा" खुद को घायल करती है "उपेक्षा" दूसरों को।
किसी से कोई उम्मीद करना मूर्खता है, उम्मीदें आपको दुख के सिवा कुछ नहीं देतीं।
प्यार वेदना का रूप ले सकता है, पर बिना दर्द के तो आँसू भी नहीं बहेंगे।
हर दुःख आने वाले सुख की चिठ्ठी होती है, और हर नुक्सान होने वाले फायदे का इशारा. – देवदास
एतबार किया खता नहीं एतबार से बडी खता नहीं
कौन ज्यादा मजबूर है वो जो सड़कों पर सुकून की नींद सोता है या वो जो लाखों के घर में भी नींद के लिये तरसता है।
जो व्यक्ति हर वक्त दुख का रोना रोता है, उसके द्वार पर खड़ा सुख बाहर से ही लौट जाता है।