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छुपा रहा हूं इश्क अभी सबसे पर एक दिन सरेआम तुम्हें लेने आऊंगा
तुम ना ही मिलते तो अच्छा था,
अब तो शायद ही मुझसे मुहब्बत करेगा कोई, तेरी तस्वीर जो मेरी आखों में साफ नजर आती है !
मैं बिन फेरों के भी रिश्ता निभाऊंगा बश तुम मेरा हाथ थामें रखना
यहाँ तो लोग नफरत भी करते है प्यार की तरह।
इससे ज्यादा इश्क का सबूत और क्या दूं साहब मैंने उसके जिस्म को नहीं उसकी रूह को चुना है
मगर लोग मोहब्बत का सुबूत ज़रूर मांगते है।
समझ नहीं आता किस पर भरोसा करू,
तेरी हर एक बात को हंसते-हंसते सह लूंगा बस मोहब्बत में शामिल कोई और ना हो
समझ लेना तुम मुझे मेरे बिना कहे खामोशी समझना भी प्रेम ही है